न पूछो हाल-ए-दिल, तो बेहतर होगा इस दिल के लिए।
सवाल जो तुम्हारे मन में हैं, वो सही नहीं है महफिल के लिए।
पुराने जख्म जो फिर हरे हो गए, तो दर्द दूर तक फैल जाएगा,
मरहम भी जो छूट गया, तो बुरा होगा इस दिल के लिए।
बेसब्री से जो इंतेज़ार में हैं, शान-ए-महफिल के आगाज में,
ग़र वो रुठ गए, तो मनाना मुश्किल होगा संगदिल के लिए।
चाहने वाले हैं ये मेरे, इन सबके करीब ही रहने दो,
ये अगर दूर हो गए, फिर नहीं मिलेंगे मेरे मंजिल के लिए।
सुना था पहले, सुनेंगे हमेशा, जो कितने वक्त से साथ में हैं,
न कभी छोड़ा था, न कभी छोड़ेंगे, जो बैठे हैं अंजाम-ए-महफिल के लिए।
वक्त को बेवक्त न होने दो, ये वक्त फिर वापस नहीं आएगा,
वक्त जो बेवक्त हो गया, तो अच्छा नहीं होगा हर प्यारे दिल के लिए।