कभी बगान में आओ तो तुमसे कहूं।
कभी करीब आओ तो तुमसे कहूं।
ख्वाबों में रहने की अब जिद्द छोड़ दो,
कभी सामने आओ तो तुमसे कहूं।
कभी फूलों की तरह महको तो तुमसे कहूं।
कभी रंगो की तरह खिलो तो तुमसे कहूं।
गुमनाम जिंदगी जीने की अब जिद्द छोड़ दो,
कभी गहनों की तरह चमको तो तुमसे कहूं।
कभी फुर्सत में मिलो तो तुमसे कहूं।
कभी चाहतें करो तो तुमसे कहूं।
दूर-दूर रहने की अब जिद्द छोड़ दो,
कभी आहतें करो तो तुमसे कहूं।
कभी प्रेम दिखाओ तो तुमसे कहूं।
कभी गले मिलो तो तुमसे कहूं।
यूं ठहर जाने की अब जिद्द छोड़ दो,
कभी खुलकर मुस्कुराओ तो तुमसे कहूं।